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नई दिल्ली36 मिनट पहले
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सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए भारत-चीन के बीच शुक्रवार को वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कांसुलेशन एंड कॉर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) की 17वीं मीटिंग हुई थी।
- पैंगोंग त्सो इलाके को लेकर आने वाले दिनों में दोनों देशों के सीनियर मिलिट्री कमांडर्स के बीच बैठक होगी
- दोनों देशों के बीच हालात सुधारने के लिए मिलिट्री और डिप्लोमैटिक लेवल पर लगातार बातचीत हो रही है
भारत और चीन की सेनाएं पेट्रोलिंग पॉइंट (पीपी)-14, पीपी-15 और पीपी-17ए से पूरी तरह पीछे हटीं। लेकिन, पैंगोंग त्सो से चीन अब भी पूरी तरह पीछे हटने को तैयार नहीं है। यह जानकारी शनिवार को न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से दी।
इसके मुताबिक, भारत और चीन के बीच लगातार हो रही मिलिट्री और डिप्लोमेटिक लेवल की बातचीत के कारण दोनों देशों की सेनाएं लद्दाख में पीपी-14, पीपी-15 और पीपी-17 ए से पूरी तरह पीछे हट चुकी हैं। वहीं, चीन पैंगोंग त्सो से सेना हटाने को तैयार नहीं है। इसे लेकर आने वाले दिनों में दोनों देशों के सीनियर मिलिट्री कमांडर्स बैठक करेंगे।
शुक्रवार को डब्ल्यूएमसीसी की 17वीं मीटिंग हुई थी
दोनों देशों के बीच शुक्रवार को वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कांसुलेशन एंड कॉर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) की 17वीं मीटिंग में बात हुई थी। इसमें भारतीय डेलिगेशन की अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने की। मीटिंग में दोनों देशों के बीच मिलिट्री कमांडरों की एक और मीटिंग कराने पर सहमति बनी। डब्ल्यूएमसीसी की 16वीं मीटिंग इसी महीने की शुरुआत में हुई थी। 2012 में डब्ल्यूएमसीसी को दोनों देशों के बीच सीमा से जुड़े विवाद सुलझाने के लिए बनाया गया था।
रक्षा मंत्री ने वायुसेना से तैयार रहने को कहा था
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को एयरफोर्स की बैठक में चीन से सीमा विवाद के मुद्दे पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि वायुसेना हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे। इससे पहले न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर के विवाद वाले इलाकों से चीन की सेना पीछे नहीं हट रही है। चीन इन इलाकों में करीब 40 हजार सैनिकों की तैनाती कर रहा है।
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