भोपाल10 मिनट पहले
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राज्यपाल लालजा टंडन का आज सुबह लखनऊ में निधन हो गया।
- मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का लखनऊ के मेदांता अस्पताल में सुबह 5.35 बजे निधन हो गया
- लालजी टंडन 85 वर्ष के थे और उन्हें 11 जून को स्वास्थ खराब होने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का लखनऊ के मेदांता अस्पताल में सुबह 5.35 बजे निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे और उन्हें 11 जून को स्वास्थ खराब होने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, तभी से वे अस्पताल में भर्ती थे। लालजी टंडन प्रदेश के 28वें राज्यपाल थे। सभी का कार्यकाल किसी न किसी वजह से जाना जाता है। 11 महीने के कार्यकाल में ही राजभवन को लोगों ने अलग तरह से जाना, राजभवन के द्वार आम जनता के लिए खोल दिए गए। लॉकडाउन के तहत हर दिन करीब 1500 परिवारों को भोजन की व्यवस्था लालजी टंडन ने कराई। इतना ही नहीं वे कई बार खुद रसोईघर में पहुंचकर भोजन कैसा बन रहा है इसका जायजा लेने के साथ जायका भी लेते थे। राजभवन में ऐसा भी पहली बार हुआ की नवरात्रि के मौके पर कन्याभोज कराया गया और राज्यपाल ने कन्याओं का पूजन किया।
इसी साल मार्च में सत्ता परिवर्तन के दौरान राज्यपाल की कार्यशैली चर्चा का विषय बनी जिस तरह से संवैधानिक दायरे में रहकर राज्यपाल ने काम किया वो पूरे देश के लिए नजीर बना। विधानसभा अध्यक्ष और राजभवन के बीच हुए पत्र व्यवहार मीडिया में छाए रहे। जब तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष राज्यपाल को सीधे पत्र लिखने लगे तब लालजी टंडन ने विधानसभा अध्यक्ष से सीधे किस आधार पर पत्र लिख रहे ये पूछ लिया।

ये तस्वीर इसी साल 18 मार्च की है जब प्रदेश के बजट सत्र को संबोधित करने राज्यपाल विधानसभा पहुंचे। इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ उन्हें सदन के अंदर लेकर आए।-फाइल फोटो
सत्ता परिवर्तन में भूमिका बेदाग रही
प्रदेश में सियासी संग्राम के बाद, 22 विधायकों का इस्तीफा और कमल नाथ सरकार का पतन भी हुआ लेकिन राज्यपाल के रूप में टंडन की भूमिका बेदाग और निर्विवाद बनी रही। संविधान और विधि विशेषज्ञों की राय के साथ अपने लंबे अनुभव के आधार पर न्याय संगत फैसले लिए। उन्होंने भाजपा विधायकों से राजभवन में मुलाकात के समय संविधान का सरंक्षक होने की बात भी कही। कमलनाथ सरकार के पतन के बाद तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विधायकों के इस्तीफे सहित कई अन्य मामलों में फैसले लेने लगे तो राज्यपाल को उन्हें पत्र लिखना पड़ा कि आपके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित है, फैसले किस आधार पर ले रहे हैं। इसके बाद तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति और उसके बाद विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे ने भी त्यागपत्र दे दिया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लालजी टंडन के साथ।
राजभवन के द्वार आम जनता के लिए खोले
राज्यपाल टंडन ने राजभवन की व्यवस्थाओं में कई बदलाव किए। राजभवन के दरवाजे आम जनता के लिए खोल दिए। उन्होंने राजभवन में ग्रीन हाउस बनवाया। जैविक खेती, पशुपालन नस्ल सुधार और डेयरी को लेकर खूब बढ़ावा दिया। किसानों को नई तकनीक सीखने राजभवन आने का न्यौता दिया। राजभवन में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के लोगों को बुलाकर संवाद किया। मीडिया के मित्रों से भी उन्होंने खुलकर बातचीत की नई परंपरा शुरू कर सबको चौंका दिया।

जून में जब राज्यपाल को अस्वस्थ्य होने पर लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनका हाल जानने अस्पताल पहुंचे थे। -फाइल फोटो
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