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नई दिल्ली9 घंटे पहले
पी. चिदंबरम ने कहा कि महबूबा मुफ्ती को धारा-370 हटाने के विरोध में क्यों नहीं बोलना चाहिए? क्या यह बोलने की स्वतंत्रता अधिकार के तहत नहीं आता?
- चिदंबरम ने कहा- महबूबा मुफ्ती को तत्काल रिहा किया जाए, हमें मिलकर आवाज उठानी होगी
- पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत महबूबा की नजरबंदी 3 महीने के लिए बढ़ाई गई
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी बढ़ाने का विरोध किया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत मुफ्ती की नजरबंदी बढ़ाना सिर्फ कानून का उल्लंघन ही नहीं, बल्कि नागरिकों को मिले संवैधानिक अधिकारों पर हमला भी है। उन्होंने पूछा कि 61 साल की पूर्व मुख्यमंत्री पब्लिक सिक्योरिटी के लिए खतरा कैसे हो सकती हैं?
पार्टी के झंडे की वजह से अब तक नजरबंद: पूर्व केंद्रीय मंत्री
सीनियर कांग्रेस लीडर ने ट्वीट किया कि 61 साल की महबूबा मुफ्ती, जो हमेशा सिक्योरिटी गार्ड से घिरी रहती हैं। वे पब्लिक सेफ्टी के लिए खतरा कैसे हो सकती हैं? उन्होंने शर्तों पर रिहाई से साफ इनकार कर दिया, जो कि हर स्वाभिमानी राजनेता करता। उनकी नजरबंदी की वजह उनकी पार्टी के झंडे का रंग है, जो कि हंसी की बात है।
I am one of the Counsel appearing in a case in the SC challenging the abrogation of Art 370. If I speak against Art 370 — as I must — is that a threat to public safety?
We must collectively raise our voices and demand “FREE MEHBOOBA MUFTI IMMEDIATELY”
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) August 1, 2020
चिदंबरम ने आगे कहा कि पूर्व सीएम को धारा-370 हटाने के विरोध में क्यों नहीं बोलना चाहिए। क्या ये बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत नहीं आता। मैं उन वकीलों में से एक हूं, जो सुप्रीम कोर्ट में धारा-370 हटाने के खिलाफ केस लड़ रहे हैं। अगर मैं कुछ कहूंगा, तो क्या वह भी पब्लिक सेफ्टी के लिए खतरा होगा।
उन्होंने कहा कि हमें साथ मिलकर आवाज उठानी होगी और महबूबा मुफ्ती को रिहा करने की मांग करनी होगी।
शुक्रवार को बढ़ाई गई थी नजरबंदी
महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी शुक्रवार को तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई थी। पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत यह फैसला लिया गया था। पिछले साल 5 अगस्त को राज्य से अनुच्छेद 370 हटाया गया था। उस दिन आधी रात को महबूबा समेत जम्मू-कश्मीर के सैकड़ों नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। इसके बाद से ही वे नजरबंद हैं।
फारूक और उमर अब्दुल्ला रिहा हो चुके हैं
महबूबा जम्मू-कश्मीर की अकेली ऐसी बड़ी नेता हैं, जिन्हें अभी तक नजरबंद रखा गया है। उनके साथ ही हिरासत में लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को रिहा किया जा चुका है। फारूक को 15 मार्च को रिहा किया गया था। वहीं, उमर को इसके 10 दिन बाद 25 मार्च को रिहा किया गया था। रिहाई के बाद उमर ने सभी नेताओं की नजरबंदी खत्म करने की मांग की थी।
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