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नई दिल्ली16 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को प्रशांत भूषण को शीर्ष न्यायपालिका के संबंध में उनके दो ट्वीट्स के लिए नोटिस जारी किया था।
- मामला 2009 का है, प्रशांत भूषण ने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के जजों पर टिप्पणी की थी
- केस से जुड़ी पार्टियों ने तैयारी के लिए वक्त मांगा, सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को तय की
11 साल पुराने अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील शांति भूषण की अपील खारिज कर दी। दरअसल, 2009 में सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने तहलका मैगजीन को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें सुप्रीम कोर्ट के जजों के बारे में टिप्पणी की गई थी। कोर्ट ने खुद ही इस मामले पर विचार किया था।
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की। इस दौरान प्रशांत भूषण के पिता और वरिष्ठ वकील शांतिभूषण ने कहा कि मुझे भी इस मामले में पार्टी बनाया जाए। इस पर बेंच ने कहा- यह मामला हमने खुद ही उठाया था। आपकी अपील भावनात्मक है, कानूनी नहीं। प्यार और लगाव से पनपे तर्क कानूनी नहीं ठहराए जा सकते। आप बुजुर्ग हैं और ऐसे में आपको दलीलें नहीं रखनी चाहिए।
अभी क्यों नहीं सुना जा सकता ये मामला- कोर्ट
इस केस में तहलका के तरुण तेजपाल, प्रशांत भूषण की ओर से राजीव धवन और कपिल सिब्बल ने दलीलें रखीं। इन दोनों ने ही केस की तैयारी के लिए वक्त मांगा। इस पर बेंच ने कहा कि कोई न कोई बेंच आज नहीं तो कल इस मामले को सुनेगी ही। हालांकि, बेंच ने इस मामले की सुनवाई 4 अगस्त तक टाल दी है।
शांति भूषण ने कहा- मामला 2009 का है। 10 साल से चल रहा है। जब तक हालात ठीक नहीं हो जाते, तब तक इंतजार करने में कोई हर्ज नहीं है। क्योंकि, मैं वर्चुअल सुनवाई के दौरान अपना पक्ष नहीं रख सकता। हमें फिजिकल कोर्ट लगने तक इंतजार करना चाहिए।
इस पर बेंच ने कहा कि कई मामलों की सुनवाई ऐसे ही की जा रही है, तो फिर इस मामले की सुनवाई वर्चुअल कोर्ट में क्यों नहीं कर सकते?
सिब्बल ने कहा- दस्तावेज देखने के लिए वक्त चाहिए
तरुण तेजपाल की ओर से सिब्बल ने कहा कि मामले की पिछली सुनवाई 2012 में हुई थी और उन्हें अभी मामले के दस्तावेजों को देखना पड़ेगा। इस पर जस्टिस मिश्रा ने जवाब दिया- हमें सुनवाई तो शुरू करनी होगी। आपको तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा।
प्रशांत भूषण की ओर से सीनियर वकील राजीव धवन ने कहा कि रिकॉर्ड की स्टडी करने और सुनवाई की तैयारी करने के लिए समय की जरूरत होगी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि भूषण की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट राम जेठमलानी का पिछले साल निधन हो गया था।
बता दें कि कोर्ट की इसी बेंच ने 22 जुलाई को प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया था। यह नोटिस भूषण के ज्यूडिशयरी को लेकर किए गए ट्वीट के बाद जारी किया गया था।
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