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लखनऊ10 मिनट पहलेलेखक: रवि श्रीवास्तव
गैंगस्टर विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे। उन्होंने मीडिया से कहा है कि मैं हाउस वाइफ हूं। मेरा तो सब कुछ बिखर गया है, अब मैं उसे समेटूंगी।
- विकास दुबे ने दो जुलाई की रात कानपुर के बिकरु गांव में आठ पुलिसवालों की हत्या की थी
- 10 जुलाई की सुबह कानपुर के भौंती में पुलिस ने विकास दुबे का एनकाउंटर किया था
- कानपुर शूटआउट के 22 दिन बाद ऋचा दुबे बोलीं- मैं चाहती थी कि बच्चों पर न पड़े विकास दुबे की परछाई, इसलिए दूर रही
उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे ने कानपुर शूटआउट के 22 दिन बाद दैनिक भास्कर से बातचीत की। उन्होंने कहा, ”मैं उन 10 महिलाओं से हमेशा माफी मांगती रहूंगी, जो मेरे पति विकास की वजह से विधवा हुईं। मैं एक ऐसे मझधार में आकर खड़ी हूं कि मेरा सबकुछ नाश हो चुका है और आगे एक लंबी लड़ाई है। मैं चाहती थी विकास की परछाई भी मेरे बच्चों पर न पड़े। लेकिन, अब हमें समाज को फेस करना है। मुख्यमंत्री चाहेंगे तो मैं अपने बच्चों को जरूर काबिल बनाऊंगी।”
करीब पांच मिनट की बातचीत में ऋचा दुबे ने कई बार न्यायपालिका, सरकार और मुख्यमंत्री का नाम लिया। उन्होंने कहा कि चाहे सुप्रीम कोर्ट में विकास दुबे के एनकाउंटर का मामला हो या कमीशन की जांच, जो भी निर्णय आएगा, उसे सिर झुकाकर मानूंगी। इसी बातचीत पर एक रिपोर्ट…
विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ, उसको किस तरह देखती हैं?
ऋचा: मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। जो निर्णय आएगा, उसे सिर झुकाकर मानूंगी।
विकास ने सरेंडर कर दिया था, फिर कानपुर में एनकाउंटर हुआ। इस पर क्या कहेंगी?
ऋचा: उस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगी। मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
एनकाउंटर की जांच के लिए कमीशन बनाया गया है, उससे क्या उम्मीद है?
ऋचा: जो भी सच सामने आएगा, वह दुनिया के सामने होगा। वह मुझे भी मान्य होगा।
विकास से आखिरी बार कब बात हुई थी?
ऋचा: दो जुलाई की रात करीब दो बजे विकास का फोन आया था। उन्होंने कहा था कि गांव में झगड़ा हुआ है। तुम बच्चों को लेकर कहीं निकल जाओ। फिर मैंने एक प्लाजा में शरण ली थी। वहीं सात दिन बिताए थे।
विकास से आखिरी बार मुलाकात कब हुई थी?
ऋचा: आखिरी बार 19 जून को। गांव में शादी थी। उसमें ही मुलाकात हुई थी। मेरी सास यहां (लखनऊ) थीं। उन्होंने मुझे जाने के लिए कहा था। तब पांच साल बाद मैं गांव विकास के घर गई थी। पांच महीने पहले विकास लखनऊ आया था। यह बात आस पड़ोसी भी बता सकते हैं।
सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि ब्राह्मणों की अनदेखी हो रही है?
ऋचा: मेरा इस पर कोई कमेंट नहीं है। मैं गृहिणी हूं। मैं इतनी गहराई में नहीं गई हूं। न जाना चाहती हूं।
परिवार को लेकर आगे की प्लानिंग क्या है?
ऋचा: मेरी प्लानिंग शुरू से थी कि बच्चे आगे बढ़ें। 50 फीसदी वह पूरा हो चुका है। 50 फीसदी के लिए मैं चाहती हूं कि मुख्यमंत्री मेरी मदद करें ताकि मैं अपने बच्चों की पढ़ाई आगे करा सकूं। मैं उन 10 औरतों से माफी मांगूंगी अपने पति के गलत काम के लिए। सभी से माफी मांगती रहूंगी। कारण कि मेरे पति ने जो किया, वह बहुत गलत था। मैं और मेरे बच्चे इसके पीछे नहीं थे।
बड़ा बेटा क्या कर रहा है?
ऋचा: मेरा बड़ा बेटा रशिया में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा है। मॉस्को सिटी में। तीन साल की पढ़ाई हो चुकी है। कोरोना के चलते वह वापस आया था। मुख्यमंत्री सहयोग करें, समाज सहयोग करता है तो उसे आगे पढ़ा सकूंगी।
लखनऊ के इस घर को लेकर क्या विवाद है?
ऋचा: इस घर का कोई मसला नहीं है। बिल्डर से खरीदा था। उसी की फॉल्ट है, लेकिन अब जब मैंने खरीद लिया है तो मैं जुर्माना भरूंगी और न्यायपालिका के साथ रहूंगी।
आपके गांव के मकान को ढहा दिया गया?
ऋचा: मेरे ससुर का बनाया हुआ मकान था। मेरे ससुर के पिता जमींदार थे। अब वह गिर चुका था। कभी बच्चे काबिल हुए तो फिर बनवा दूंगी।
मुख्यमंत्री से किस तरह उम्मीद है?
ऋचा: मुख्यमंत्री से बहुत उम्मीद है। वे मेरा सहयोग करेंगे। मैं भी एक दुखियारी महिला हूं। मेरी बात उनके कान तक जाएगी तो मदद करेंगे।
विकास दुबे के अंतिम संस्कार के दिन गुस्से में थीं?
ऋचा: मैं गुस्से में नहीं थी। आप लोग प्रोवोक कर रहे थे। मेरी जगह अपने को रखिए। सोचिए, जिसके पति की लाश पड़ी हो और मीडिया कह रही थी कि ऋचा जी…ऋचा जी…फोटो खिंचाइए। आप विकास दुबे के किए गलत कामों को अलग रख दीजिए। पति को खोने वाली महिला के दुख को समझिए। मेरा भी सबकुछ नाश हुआ है। मैं एक ऐसे मझधार में आकर खड़ी हो गई हूं, जिसके पास कुछ नहीं है। बच्चों को पढ़ाना है। मेरे सामने बहुत बड़ी कठिनाई आकर खड़ी है। मुझे समाज को फेस करना है। मैं घर से कभी नहीं निकली। मेरे लिए सब कुछ नया है। कभी कैमरे के सामने नहीं आई।
आप जिला पंचायत सदस्य हैं?
ऋचा: मैं तो नाम की जिला पंचायत सदस्य थी। विकास ही सब कुछ संभालता था। मैं तो अपने अब तक के कार्यकाल में दो-तीन बार गई हूं। जिला पंचायत अध्यक्ष से पूछिए।
कोई पार्टी ऑफर करे तो?
ऋचा: मैं हाउस वाइफ हूं। मेरा तो सब कुछ बिखर गया है, अब मैं उसे समेटूंगी।
पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था विकास दुबे
बिकरु गांव में 2 जुलाई को मुठभेड़ में 8 पुलिसवाले मारे गए थे। इस हत्याकांड के बाद से विकास फरार हो गया था। बाद में वह उज्जैन में पकड़ा गया। एसटीएफ उसे कानपुर लेकर आ रही थी, तभी 17 किमी पहले भौंती गांव के पास पुलिस की गाड़ी पलट गई। इसके बाद मौके से भागने की कोशिश में विकास दुबे मारा गया था।